gauri nadkarni choudhary
वो कहते हैं

वो कहते हैं की
आज कल तुम कम हसती हो,
कोई उन्हे समझाऐ, भिगी आँखों की हसी, हसी नही होती।
वो कहते हैं की आज कल तुम कम बोलती हो,
कोई उन्हे समझाऐ, बिना ख्वाईशों की भाषा, बोली नही होती।
वो कहते हैं की आज कल तुम कम सोती हो,
कोई उन्हे समझाऐ, बिना ख्वाब नींद, नींद नही होती।
वो कहते हैं की आज कल तुम पहले जैसी नही हो,
कोई उन्हे समझाऐ, टुटी चीज़ पूरी नही होती।