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  • Writer's picturegauri nadkarni choudhary

ये उन दिनों की बात है!


ये उन दिनों की बात है,

जब कागज़ महज़ एक पन्ना था,

कलम थी, स्याही भी थी,

पर तीनों थे अनजान।

ये उन दिनों की बात है,

जब अल्फ़ाज़ ज़ुबान पर थे,

और दिल में थे जस्बात,

पर कागज़ से अनजान।

इन दिनों की बात अलग है,

आज कागज़ ज़ुबान जानता है,

और कलम दिल को पढ़ लेती है।

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