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  • Writer's picturegauri nadkarni choudhary

कुल्हड़ की चाय

जाने क्या जादू था उस

में,

छुपी सी यादों को अल्फ़ाज़ मिल गए,

ऐसा क्या था उस गर्म चाय में,

खोये एहसास फिर मिल गए,

चाय थी या दोस्ती थी हमारी,

ज़िन्दगी में मिठास घोल गयी


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