gauri nadkarni choudhary
इस युग की है तलाश तु,

ऐ नारी अब उठ तु,
इस युग की है तलाश तु,
खुद को ना समझ कम तु,
है जननी तु, विनाश तु
है ज़ख्म तु, इलाज तु।
खुद को ना समझ अकेला,
है मंज़िल तु, राह तु,
है साहिल तु, तुफ़ान तु।
खुद से ना सहम तु,
है पांचाली तु, गोविंद तु,
है राखी तु, कलाई तु।
खुद से अब ना हार तु,
है ममता तु, काली भी तु
है ढाल तु, तलवार भी तु।
ऐ नारी अब उठ तु,
इस युग की है तलाश तु।