gauri nadkarni choudhary
आफ़ताब

दरिया की गहराइयों से निकलता आफ़ताब
बादलोँ के परदे को चीरता आफ़ताब
हर कठिनाइयों से लड़ता आफ़ताब
ज़मीन से किया हर वादा निभाता आफ़ताब
दरिया की गहराइयों से निकलता आफ़ताब
बादलोँ के परदे को चीरता आफ़ताब
हर कठिनाइयों से लड़ता आफ़ताब
ज़मीन से किया हर वादा निभाता आफ़ताब